आईपीएस जीपी सिंह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद...

शासन-प्रशासन पर चला कैट का हंटर,,, आरोपों को कैट ने बताया दुर्भावनापूर्ण,,,,,आदेश में उठाए कई सवाल

May 1, 2024 - 16:23
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आईपीएस जीपी सिंह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद...

रायपुर (the CG live.com)। छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिली है। कैट ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया है। जुलाई 2023 में राज्य की कांग्रेस सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। आइपीएस जीपी सिंह पर 2022 में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। कैट ने राज्य सरकार के तमाम आरोपों पर सिलसिलेवार कड़ी टिप्पणी की है और श्री सिंह पर की गई सभी कार्यवाही को दुर्भावना पूर्ण करार दिया। मालूम हो कि कैट ने अपने आदेश में कहा है कि श्री सिंह के खिलाफ साल 2021 में 24 घंटों के भीतर निजी व्यक्तियों द्वारा तीन अलग-अलग शिकायत की गई थी, ये शिकायतें सीधे डीजीपी को दर्ज की गईं थीं। शिकायतें असंबद्ध घटनाओं के संबंध में हैं और इनमें से सबसे हालिया पांच साल पुरानी थी। डीजीपी ने तत्परता से कार्रवाई की और आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ जांच करने के लिए 72 घंटे के भीतर तीन जांच समितियों का गठन किया। कैट ने डीजीपी के इस कदम को मानदंडों का उल्लंघन माना है, क्योंकि इनमें से दो समितियों के प्रमुख अधिकारी आवेदक से जूनियर थे। कहा गया कि इन शिकायतों को उनके तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाया गया है और आरोप पत्र के माध्यम से अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई। वहीं तथ्यों एवं परिस्थितियों के आधार पर सिंह को दंडात्मक उपाय के रूप में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है। जबकि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश विभागीय जांच से बचने के शॉर्टकट के रूप में पारित किया गया है, क्योंकि अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने का विवादित आदेश कानून की नजर में कायम नहीं रह सकता।

कैट ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए कहा है कि जीपी सिंह ने राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों के अनुरूप काम नहीं किया, इसलिए एक महीने से भी कम समय के भीतर लगातार तीन एफआईआर दर्ज करके उन पर अनाप-शनाप कार्रवाई की गई। कथित आय से अधिक के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) के साथ धारा 13 (1) (बी) के तहत एसीबी द्वारा उन के खिलाफ एसीबी द्वारा जून 2021 को पहली एफआईआर दर्ज की गई, जिसका नंबर 22/2021 है। उक्त एफआईआर में मणि भूषण नामक व्यक्ति के पास से 2 किलो सोने की बरामदगी को आय से अधिक संपत्ति के आरोप का आधार बनाया गया। एसीबी को उनके आवास पर छापेमारी में कुछ भी अवैध या विवादास्पद नहीं मिला। छापा मारने वाले अधिकारियों ने निवास के बाहर कुछ फटे हुए पन्ने लगाए जिनमें कथित तौर पर राज्य सरकार के खिलाफ प्रतिकूल लिखित सामग्री थी। इस सामग्री के आधार पर, आवेदक के खिलाफ धारा 124, 153 ए और 502 (2) आईपीसी के तहत दूसरी एफआईआर संख्या दर्ज की गई थी। इसके बाद तीसरा मामला दर्ज किया गया कैट ने जीपी सिंग पर लगे सिलसिलेवार सभी आरोपो का कड़ी टिप्पणी करते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार एवं अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनपर लगे सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किये जाने का आदेश दिया है।

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